भारत में संवृत चक्र विधि पसन्द की गई है द्वितीय और तृतीय चरणों के माध्यम से नाभिकीय विद्युत उत्पादन के चरणबद्ध विस्तार कार्यक्रम को देखते हुए संसाधन एवं अपशिष्ट प्रबंधन हेतु स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास तथा पुनर्संसाधन संयंत्रों का स्थापन किया गया है ।